Thursday, June 28, 2012

Black Magic and Obscenity in Vedas

अथर्ववेद - अश्लीलता के कुछ और नमूने

वेदों में किस प्रकार अश्लीलता, जन्गी बातों और जादू-टोने को परोसा गया है.

धर्म-युद्ध:
हिन्दुओं के अन्य धर्मग्रंथों रामायण, महाभारत और गीता की भांति वेद भी लडाइयों के विवरणों से भरे पड़े है. उनमें युद्धों की कहानियां, युद्धों के बारे में दांवपेच,आदेश और प्रर्थनाएं इतनी हैं कि उन तमाम को एक जगह संग्रह करना यदि असंभव नहीं तो कठिन जरुर है. वेदों को ध्यानपूर्वक पढने से यह महसूस होने लगता है की वेद जंगी किताबें है अन्यथा कुछ नहीं। इस सम्बन्ध में कुछ उदाहरण यहाँ वेदों से दिए जाते है ....ज़रा देखिये
(1) हे शत्रु नाशक इन्द्र! तुम्हारे आश्रय में रहने से शत्रु और मित्र सही हमको ऐश्वर्य्दान बताते हैं |६| यज्ञ को शोभित करने वाले, आनंदप्रद, प्रसन्नतादायक तथा यज्ञ को शोभित करने वाले सोम को इन्द्र के लिए अर्पित करो |१७| हे सैंकड़ों यज्ञ वाले इन्द्र ! इस सोम पान से बलिष्ठ हुए तुम दैत्यों के नाशक हुए. इसी के बल से तुम युद्धों में सेनाओं की रक्षा करते हो |८| हे शत्कर्मा इन्द्र ! युद्धों में बल प्रदान करने वाले तुम्हें हम ऐश्वर्य के निमित्त हविश्यांत भेंट करते हैं |९| धन-रक्षक,दू:खों को दूर करने वाले, यग्य करने वालों से प्रेम करने वाले इन्द्र की स्तुतियाँ गाओ. (ऋग्वेद १.२.४)
(२) हे प्रचंड योद्धा इन्द्र! तू सहस्त्रों प्रकार के भीषण युद्धों में अपने रक्षा-साधनों द्वारा हमारी रक्षा कर |४| हमारे साथियों की रक्षा के लिए वज्र धारण करता है, वह इन्द्र हमें धन अथवा बहुत से ऐश्वर्य के निमित्त प्राप्त हो.(ऋग्वेद १.३.७)
(३) हे संग्राम में आगे बढ़ने वाले और युद्ध करने वाले इन्द्र और पर्वत! तुम उसी शत्रु को अपने वज्र रूप तीक्षण आयुध से हिंसित करो जो शत्रु सेना लेकर हमसे संग्राम करना चाहे. हे वीर इन्द्र ! जब तुम्हारा वज्र अत्यंत गहरे जल से दूर रहते हुए शत्रु की इच्छा करें, तब वह उसे कर ले. हे अग्ने, वायु और सूर्य ! तुम्हारी कृपा प्राप्त होने पर हम श्रेष्ठ संतान वाले वीर पुत्रादि से युक्त हों और श्रेष्ठ संपत्ति को पाकर धनवान कहावें.(यजुर्वेद १.८)
(४) हे अग्ने तुम शत्रु-सैन्य हराओ. शत्रुओं को चीर डालो तुम किसी द्वारा रोके नहीं जा सकते. तुम शत्रुओं का तिरस्कार कर इस अनुष्ठान करने वाले यजमान को तेज प्रदान करो |३७| यजुर्वेद १.९)
(५) हे व्याधि! तू शत्रुओं की सेनाओं को कष्ट देने वाली और उनके चित्त को मोह लेने वाली है. तू उनके शरीरों को साथ लेती हुई हमसे अन्यत्र चली जा. तू सब और से शत्रुओं के हृदयों को शोक-संतप्त कर. हमारे शत्रु प्रगाढ़ अन्धकार में फंसे |४४|
(६)हे बाण रूप ब्राहमण ! तुम मन्त्रों द्वारा तीक्ष्ण किये हुए हो. हमारे द्वारा छोड़े जाने पर तुम शत्रु सेनाओं पर एक साथ गिरो और उनके शरीरों में घुस कर किसी को भी जीवित मत रहने दो.(४५) (यजुर्वेद १.१७)
(यहाँ सोचने वाली बात है कि जब पुरोहितों की एक आवाज पर सब कुछ हो सकता है तो फिर हमें चाइना और पाक से डरने की जरुरत क्या है इन पुरोहितों को बोर्डर पर ले जाकर खड़ा कर देना चाहिए उग्रवादियों और नक्सलियों के पीछे इन पुरोहितों को लगा देना चाहिए फिर क्या जरुरत है इतनी लम्बी चौड़ी फ़ोर्स खड़ी करने की और क्या जरुरत है मिसाइलें बनाने की)
अब जिक्र करते है अश्लीलता का :-वेदों में कैसी-कैसी अश्लील बातें भरी पड़ी है,इसके कुछ नमूने आगे प्रस्तुत किये जाते हैं (१) यां त्वा .........शेपहर्श्नीम || (अथर्व वेद ४-४-१) अर्थ : हे जड़ी-बूटी, मैं तुम्हें खोदता हूँ. तुम मेरे लिंग को उसी प्रकार उतेजित करो जिस प्रकार तुम ने नपुंसक वरुण के लिंग को उत्तेजित किया था.
(२) अद्द्यागने............................पसा:|| (अथर्व वेद ४-४-६) अर्थ: हे अग्नि देव, हे सविता, हे सरस्वती देवी, तुम इस आदमी के लिंग को इस तरह तान दो जैसे धनुष की डोरी तनी रहती है
(३) अश्वस्या............................तनुवशिन || (अथर्व वेद ४-४-८) अर्थ: हे देवताओं, इस आदमी के लिंग में घोड़े, घोड़े के युवा बच्चे, बकरे, बैल और मेढ़े के लिंग के सामान शक्ति दो
(४) आहं तनोमि ते पासो अधि ज्यामिव धनवानी, क्रमस्वर्श इव रोहितमावग्लायता (अथर्व वेद ६-१०१-३) मैं तुम्हारे लिंग को धनुष की डोरी के समान तानता हूँ ताकि तुम स्त्रियों में प्रचंड विहार कर सको.
(५) तां पूष...........................शेष:|| (अथर्व वेद १४-२-३८) अर्थ: हे पूषा, इस कल्याणी औरत को प्रेरित करो ताकि वह अपनी जंघाओं को फैलाए और हम उनमें लिंग से प्रहार करें.
(६) एयमगन....................सहागमम || (अथर्व वेद २-३०-५) अर्थ: इस औरत को पति की लालसा है और मुझे पत्नी की लालसा है. मैं इसके साथ कामुक घोड़े की तरह मैथुन करने के लिए यहाँ आया हूँ.
(७) वित्तौ.............................गूहसि (अथर्व वेद २०/१३३) अर्थात: हे लड़की, तुम्हारे स्तन विकसित हो गए है. अब तुम छोटी नहीं हो, जैसे कि तुम अपने आप को समझती हो। इन स्तनों को पुरुष मसलते हैं। तुम्हारी माँ ने अपने स्तन पुरुषों से नहीं मसलवाये थे, अत: वे ढीले पड़ गए है। क्या तू ऐसे बाज नहीं आएगी? तुम चाहो तो बैठ सकती हो, चाहो तो लेट सकती हो.
(अब आप ही इस अश्लीलता के विषय में अपना मत रखो और ये किन हालातों में संवाद हुए हैं। ये तो बुद्धिमानी ही इसे पूरा कर सकते है ये तो ठीक ऐसा है जैसे की इसका लिखने वाला नपुंसक हो या फिर शारीरिक तौर पर कमजोर होगा तभी उसने अपने को तैयार करने के लिए या फिर अपने को एनर्जेटिक महसूस करने के लिए किया होगा या फिर किसी औरत ने पुरुष की मर्दानगी को ललकारा होगा) तब जाकर इस प्रकार की गुहार लगाईं हो.
आओ अब जादू टोने पर थोडा प्रकाश डालें : वैदिक जादू-टोनों और मक्कारियों में किस प्रकार साधन प्रयोग किये जाते थे, इस का भी एक नमूना पेश है :
यां ते.......जहि || (अथर्व वेद ४/१७/४)
अर्थात : जिस टोने को उन शत्रुओं ने तेरे लिए कच्चे पात्र में किया है, जिसे नीले, लाल (बहुत पके हुए) में किया है, जिस कच्चे मांस में किया है, उसी टोने से उन टोनाकारियों को मार डाल.
सोम पान करो : वेदों में सोम की भरपूर प्रशंसा की गई है. एक उदाहरण "हे कम्यवार्षेक इन्द्र! सोमभिशव के पश्चात् उसके पान करने के लिए तुम्हें निवेदित करता हूँ यह सोम अत्यंत शक्ति प्रदायक है, तुम इसका रुचिपूर्वक पान करो." (सामवेद २(२) ३.५)
संतापक तेज : सामवेद ११.३.१४ में अग्नि से कहा गया है "हे अग्ने ! पाप से हमारी रक्षा करो. हे दिव्य तेज वाले अग्ने, तुम अजर हो. हमारी हिंसा करने की इच्छा वाले शत्रुओं को अपने संतापक तेज से भस्म कर दो."
सुनते है,देखते नहीं : ऋग्वेद १०.१६८.३-३४ में वायु (हवा) से कहा गया है : "वह कहाँ पैदा हुआ और कहाँ आता है? वह देवताओं का जीवनप्राण, जगत की सबसे बड़ी संतान है. वह देव जो इच्छापूर्वक सर्वत्र घूम सकता है. उसके चलने की आवाज को हम सुनते है किन्तु उसके रूप को देखते नहीं."
इन मक्कारियों के विषय में आप क्या कहना चाहेंगे जरुर लिखे .....?.................क्रमश:
नोट : मेरा किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का मकसद नहीं है और ना ही मैं किसी को नीचा दिखाना चाहता हूँ मैंने तो बस वही लिखा है जो वेदों में दर्ज है अगर किसी भाई को शक हो तो वेदों में पढ़ सकता है आप मेरे मत से सहमत हों ये जरुरी नहीं है और मैं आपके मत से सहमत होऊं ये भी जरुरी नहीं है. ब्लॉग पढने के लिए धन्यवाद.

why man torture woman

मनो विज्ञान के अध्यन बताते है एक महिलाओं पर पुरुषों द्वारा जुल्म उनको शारीरक यातना वे पुरुष देते है जो महिलाओं को ज्ञान , तर्क , और मर्दानगी से हारने में नाकाम होते है , इस तरह के उधाहरण काफी मिलते है आजकल जब आपने देखा होगा की लड़के ने लड़की के मू पर तेज़ाब फेक दिया ... जब सुप्र्न्खा ने लक्षमन को प्रपोस किया था तो लक्ष्मण ने उसकी नाक काट डी थी जिसका मतलब साफ़ है की लक्ष्मण उस वक्त शरारीक रूप से विफल रहा होगा और उसने अपना अपराध छिपाने के लिए सुप्रन्खा की नाक काट दी

Manusmriti an Unhuman Book

यह देखिये-
१- पुत्री,पत्नी,माता या कन्या,युवा,व्रुद्धा किसी भी स्वरुप में नारी स्वतंत्र नही होनी चाहिए. -मनुस्मुर्तिःअध्याय-९ श्लोक-२ से ६ तक.

...२- पति पत्नी को छोड सकता हैं, सुद(गिरवी) पर रख सकता हैं, बेच सकता हैं, लेकिन स्त्री को इस प्रकार के अधिकार नही हैं. किसी भी स्थिती में, विवाह के बाद, पत्नी सदैव पत्नी ही रहती हैं. - मनुस्मुर्तिःअध्याय-९ श्लोक-४५

३- संपति और मिलकियत के अधिकार और दावो के लिए, शूद्र की स्त्रिया भी "दास" हैं, स्त्री को संपति रखने का अधिकार नही हैं, स्त्री की संपति का मलिक उसका पति,पूत्र, या पिता हैं. - मनुस्मुर्तिःअध्याय-९ श्लोक-४१६.

४- ढोर, गंवार, शूद्र और नारी, ये सब ताडन के अधिकारी हैं, यानी नारी को ढोर की तरह मार सकते हैं....तुलसी दास पर भी इसका प्रभाव दिखने को मिलता हैं, वह लिखते हैं-"ढोर,चमार और नारी, ताडन के अधिकारी."
- मनुस्मुर्तिःअध्याय-८ श्लोक-२९९

५- असत्य जिस तरह अपवित्र हैं, उसी भांति स्त्रियां भी अपवित्र हैं, यानी पढने का, पढाने का, वेद-मंत्र बोलने का या उपनयन का स्त्रियो को अधिकार नही हैं.- मनुस्मुर्तिःअध्याय-२ श्लोक-६६ और अध्याय-९ श्लोक-१८.

६- स्त्रियां नर्कगामीनी होने के कारण वह यग्यकार्य या दैनिक अग्निहोत्र भी नही कर सकती.(इसी लिए कहा जाता है-"नारी नर्क का द्वार") - मनुस्मुर्तिःअध्याय-११ श्लोक-३६ और ३७ .

७- यग्यकार्य करने वाली या वेद मंत्र बोलने वाली स्त्रियो से किसी ब्राह्मण भी ने भोजन नही लेना चाहिए, स्त्रियो ने किए हुए सभी यग्य कार्य अशुभ होने से देवो को स्वीकार्य नही हैं. - मनुस्मुर्तिःअध्याय-४ श्लोक-२०५ और २०६ .

८- - मनुस्मुर्ति के मुताबिक तो , स्त्री पुरुष को मोहित करने वाली - अध्याय-२ श्लोक-२१४ .

९ - स्त्री पुरुष को दास बनाकर पदभ्रष्ट करने वाली हैं. अध्याय-२ श्लोक-२१४

१० - स्त्री एकांत का दुरुप्योग करने वाली. अध्याय-२ श्लोक-२१५.

११. - स्त्री संभोग के लिए उमर या कुरुपताको नही देखती. अध्याय-९ श्लोक-११४.

१२- स्त्री चंचल और हदयहीन,पति की ओर निष्ठारहित होती हैं. अध्याय-२ श्लोक-११५.

१३.- केवल शैया, आभुषण और वस्त्रो को ही प्रेम करने वाली, वासनायुक्त, बेईमान, इर्षाखोर,दुराचारी हैं . अध्याय-९ श्लोक-१७.

१४.- सुखी संसार के लिए स्त्रीओ को कैसे रहना चाहिए? इस प्रश्न के उतर में मनु कहते हैं-
(१). स्त्रीओ को जीवन भर पति की आग्या का पालन करना चाहिए. - मनुस्मुर्तिःअध्याय-५ श्लोक-११५.

(२). पति सदाचारहीन हो,अन्य स्त्रीओ में आसक्त हो, दुर्गुणो से भरा हुआ हो, नंपुसंक हो, जैसा भी हो फ़िर भी स्त्री को पतिव्रता बनकर उसे देव की तरह पूजना चाहिए.- मनुस्मुर्तिःअध्याय-५ श्लोक-१५४.

जो इस प्रकार के उपर के ये प्रावधान वाले पाशविक रीति-नीति के विधान वाले पोस्टर क्यो नही छपवाये?

(१) वर्णानुसार करने के कार्यः -

- महातेजस्वी ब्रह्मा ने स्रुष्टी की रचना के लिए ब्राह्मण,क्षत्रिय,वैश्य और शूद्र को भिन्न-भिन्न कर्म करने को तै किया हैं -

- पढ्ना,पढाना,यग्य करना-कराना,दान लेना यह सब ब्राह्मण को कर्म करना हैं. अध्यायः१:श्लोक:८७

- प्रजा रक्षण , दान देना, यग्य करना, पढ्ना...यह सब क्षत्रिय को करने के कर्म हैं. - अध्यायः१:श्लोक:८९

- पशु-पालन , दान देना,यग्य करना, पढ्ना,सुद(ब्याज) लेना यह वैश्य को करने का कर्म हैं. - अध्यायः१:श्लोक:९०.

- द्वेष-भावना रहित, आंनदित होकर उपर्युक्त तीनो-वर्गो की नि:स्वार्थ सेवा करना, यह शूद्र का कर्म हैं. - अध्यायः१:श्लोक:९१.

(२) प्रत्येक वर्ण की व्यक्तिओके नाम कैसे हो?:-

- ब्राह्मण का नाम मंगलसूचक - उदा. शर्मा या शंकर
- क्षत्रिय का नाम शक्ति सूचक - उदा. सिंह
- वैश्य का नाम धनवाचक पुष्टियुक्त - उदा. शाह
- शूद्र का नाम निंदित या दास शब्द युक्त - उदा. मणिदास,देवीदास
- अध्यायः२:श्लोक:३१-३२.

(३) आचमन के लिए लेनेवाला जल:-

- ब्राह्मण को ह्रदय तक पहुचे उतना.
- क्षत्रिय को कंठ तक पहुचे उतना.
- वैश्य को मुहं में फ़ैले उतना.
- शूद्र को होठ भीग जाये उतना, आचमन लेना चाहिए.
- अध्यायः२:श्लोक:६२.

(४) व्यक्ति सामने मिले तो क्या पूछे?:-
- ब्राह्मण को कुशल विषयक पूछे.
- क्षत्रिय को स्वाश्थ्य विषयक पूछे.
- वैश्य को क्षेम विषयक पूछे.
- शूद्र को आरोग्य विषयक पूछे.
- अध्यायः२:श्लोक:१२७.
(५) वर्ण की श्रेष्ठा का अंकन :-
- ब्राह्मण को विद्या से.
- क्षत्रिय को बल से.
- वैश्य को धन से.
- शूद्र को जन्म से ही श्रेष्ठ मानना.(यानी वह जन्म से ही शूद्र हैं)
- अध्यायः२:श्लोक:१५५.
(६) विवाह के लिए कन्या का चयन:-
- ब्राह्मण सभी चार वर्ण की कन्याये पंसद कर सकता हैं.
- क्षत्रिय - ब्राह्मण कन्या को छोडकर सभी तीनो वर्ण की कन्याये पंसद कर सकता हैं.
- वैश्य - वैश्य की और शूद्र की ऎसे दो वर्ण की कन्याये पंसद कर सकता हैं.
- शूद्र को शूद्र वर्ण की ही कन्याये विवाह के लिए पंसद कर सकता हैं.- (अध्यायः३:श्लोक:१३) यानी शूद्र को ही वर्ण से बाहर अन्य वर्ण की कन्या से विवाह नही कर सकता.

(७) अतिथि विषयक:-
- ब्राह्मण के घर केवल ब्राह्मण ही अतिथि गीना जाता हैं,(और वर्ण की व्यक्ति नही)
- क्षत्रिय के घर ब्राह्मण और क्षत्रिय ही ऎसे दो ही अतिथि गीने जाते थे.
- वैश्य के घर ब्राह्मण,क्षत्रिय और वैश्य तीनो द्विज अतिथि हो सकते हैं, लेकिन ...

- शूद्र के घर केवल शूद्र ही अतिथि कहेलवाता हैं - (अध्यायः३:श्लोक:११०) और कोइ वर्ण का आ नही सकता...

(८) पके हुए अन्न का स्वरुप:-

- ब्राह्मण के घर का अन्न अम्रुतमय.
- क्षत्रिय के घर का अन्न पय(दुग्ध) रुप.
- वैश्य के घर का अन्न जो है यानी अन्नरुप में.
- शूद्र के घर का अन्न रक्तस्वरुप हैं यानी वह खाने योग्य ही नही हैं.
(अध्यायः४:श्लोक:१४)

(९) शब को कौन से द्वार से ले जाए? :-
- ब्राह्मण के शव को नगर के पूर्व द्वार से ले जाए.
- क्षत्रिय के शव को नगर के उतर द्वार से ले जाए.
- वैश्य के शव को पश्र्चिम द्वार से ले जाए.
- शूद्र के शव को दक्षिण द्वार से ले जाए.
(अध्यायः५:श्लोक:९२)

(१०) किस के सौगंध लेने चाहिए?:-
- ब्राह्मण को सत्य के.
- क्षत्रिय वाहन के.
- वैश्य को गाय, व्यापार या सुवर्ण के.
- शूद्र को अपने पापो के सोगन्ध दिलवाने चाहिए.
(अध्यायः८:श्लोक:११३)

(११) महिलाओ के साथ गैरकानूनी संभोग करने हेतू:-
- ब्राह्मण अगर अवैधिक(गैरकानूनी) संभोग करे तो सिर पे मुंडन करे.
- क्षत्रिय अगर अवैधिक(गैरकानूनी) संभोग करे तो १००० भी दंड करे.
- वैश्य अगर अवैधिक(गैरकानूनी) संभोग करे तो उसकी सभी संपति को छीन ली जाये और १ साल के लिए कैद और बाद में देश निष्कासित.
- शूद्र अगर अवैधिक(गैरकानूनी) संभोग करे तो उसकी सभी संपति को छीन ली जाये , उसका लिंग काट लिआ जाये.
- शूद्र अगर द्विज-जाती के साथ अवैधिक(गैरकानूनी) संभोग करे तो उसका एक अंग काटके उसकी हत्या कर दे.
(अध्यायः८:श्लोक:३७४,३७५,३७९)
(१२) हत्या के अपराध में कोन सी कार्यवाही हो?:-
- ब्राह्मण की हत्या यानी ब्रह्महत्या महापाप.(ब्रह्महत्या करने वालो को उसके पाप से कभी मुक्ति नही मिलती)
- क्षत्रिय की हत्या करने से ब्रह्महत्या का चौथे हिस्से का पाप लगता हैं.
- वैश्य की हत्या करने से ब्रह्महत्या का आठ्वे हिस्से का पाप लगता हैं.

- शूद्र की हत्या करने से ब्रह्महत्या का सोलह्वे हिस्से का पाप लगता हैं.(यानी शूद्र की जिन्द्गी बहोत सस्ती हैं)
- (अध्यायः११:श्लोक:१२६)

Impect of Social Environment on Personality

अमरीका में एक लड़की जंगलो से मिली , समाज से बिलकुल कटी वो लड़की न तो भाषा सीख पाई और न ही संकेत , इसीस तरह मनोविज्ञान ने अपने शोध में पाया है की जिन लोगो के पास सामान की उप्लाब्द्ताता होती है जैसे कार कम्पुटर , इत्यादि वो बच्चे बहुत ही सामान्य तरीके से सीख जाते है , जिनके पास नहीं होती उन्हें बड़ी मुश्किल होती है .........ब्राह्मणों ने शुद्रो को हजारों साल शिक्षा से दूर रखा और इनके दिलो का इस जाति के लिए जहर देखो की अगर शिक्षा का एक शब्द भी अगर शुद्रो के कान में पड़ जाए तो ये इनके कानो में पिघला शीशा डलवाते थे ,,, क्योकि ज्ञान बहुत असरदायक होता है .......आजदी के अभी तो ६५ साल में ही ब्रह्मिन दलितो से इतना घबरा गए है की तरह तरह के प्रपंच रच रहे है , दलितो को गोली मार रहे है , ज़िंदा जला रहे है , उनका हक छीन रहे है , लेकिन अफ़सोस ब्रह्मिनो को सिर्फ इसी बात है ये दलितो को शिक्षा लेने से नहीं रोक पा रहे है .... दलितो की शिक्षा ब ब्रह्मिनो के दिलो में डर .. दलितो की योग्यता प्रखरता से अबूत घबराया हुआ है ये समाज

Arayns Origin

MOSCOW: An ancient Vishnu idol has been found during excavation in an old village in Russia’s Volga region, raising questions about the prevalent view on the origin of ancient Russia. The idol found in Staraya (old) Maina village dates back to VII-X century AD. Staraya Maina village in Ulyanovsk region was a highly populated city 1700 years ago, much older than Kiev, so far believed to be the mother of all Russian cities.

“We may consider it incredible, but we have ground to assert that Middle-Volga region was the original land of Ancient Rus. This is a hypothesis, but a hypothesis, which requires thorough research,” Reader of Ulyanovsk State University’s archaeology department Dr Alexander Kozhevin told state-run television Vesti .

Dr Kozhevin, who has been conducting excavation in Staraya Maina for last seven years, said that every single square metre of the surroundings of the ancient town situated on the banks of Samara, a tributary of Volga, is studded with antiques.

Prior to unearthing of the Vishnu idol, Dr Kozhevin has already found ancient coins, pendants, rings and fragments of weapons.

He believes that today’s Staraya Maina, a town of eight thousand, was ten times more populated in the ancient times. It is from here that people started moving to the Don and Dneiper rivers around the time ancient Russy built the city of Kiev, now the capital of Ukraine. An international conference is being organised later this year to study the legacy of the ancient village, which can radically change the history of ancient Russia.

Some Conclusions by others:

The discovery of an ancient Vishnu idol in an excavation in Russia only confirms certain ideas I have always had about the Vedic ancient and glorious land and culture.

The report says that the area in which the idol was found is called Staraya Maina. In the Rig Veda, there is a passage that goes, Itham ascati pasyat syantham, ekam starayath mainaa-kaalam. This translates into Staraya Maina is the name of the land of the 45 rivers (on whose banks the noble Rishis conducted the famous Horse Sacrifices), where the sun god descends into one fifty two forty seven. While the first line identifies a location, the second line talks about the exact latitude and longitude at which the solar spectrum produces interference lines at one, fifty two, and forty seven.
The extreme precision of the calculations show the advanced science of the Vedic period, and also a thorough knowledge of SI units (it has been conclusively proven that French scientists stole the system from the Indians.

The discovery of the idol confirms the location in Russia, identified in the Rig Veda as rus soviath sapthamahanagaratham (the ancient and holy land of the 722 flying vehicles). The ancient connections between the Russians and the Indians has been unequivocally confirmed. In Russian orthodox Christianity, worship is conducted very much like in Vishnu temples. The Russians refer to the feast of Vizhnyir Ekoratsya Vikhunh, directly corresponding with Vaikhunda Ekhadasi.

The Russian language also owes a lot to Sanskrit, whose origins 50,000 years ago roughly correspond with the language of the people of the Smritzyi archaeological site, along the banks of the now-dried up Vernstokhlin (Varnasatyakhalini) river system.

It is common knowledge in the archaeological community that the Parashurama Sutra, the basis of all government policy in the erstwhile Kerala kingdom of Vaazhappazhaa, contains the lines Sthulyam Kaamyunishancha kalanam brighahaha. The links between the ancient Russians and Indians almost certainly aided by the 60,00 odd scholars of the University of Vexalate (Sk. Vekhshalatha, Ru. Vekholotsla), in modern-day Central Afghanistan, in the 17th Century BCE, is said to have transferred political ideas through the land of the Vanga (Ru. Vangnya) in modern-day West Bengal.

The Vishnu idol is depicted with a hammer in one left hand while the deconglated seventh arm on the right side holds a reticulated sickle. This hammer and sickle imagery is also found in the Parashurama Sutra, conclusively placing the origin of great and popular Russian political ideology in Vedic India.

The Bringdunthaladeena Upanishad also mentions Kaamyunishcham in its list of land sacrifices, where under the directions of the King, all the land in the country was donated to the performance of sacrifices where Brahmins continuously tickled horny silk-rats (Gandharvamooshicam) until they collapsed in orgiastic exhaustion. The text also clearly identifies a group of scholars referred to as the Paalita Buryam, who oversaw the functioning of the King.

For years, western historical study dominated by Greco-Capitalists, has sought to undermine the Vedic Indian contributions to what came to be 19th and 20th Century world politics. The Greco-Capitalists also attributed the ideology of Communism to the work done by Karl Marx, one of their own. It has been well documented that Marx indeed visited Kerala and West Bengal, and had thorough understanding of the Parashurama Sutra, a copy of which he picked up in the old-book-stall near the Cochin airport. Later on, as part of the larger Greco-centric Capitalist conspiracy, Marx took all the credit himself.

In 1952 in Soviet Russia, an archaeologist, Prof. Varely Smirzkoff of Odessa University found artefacts near the ancient Belarussian town of Kozhikodz. He was the first to speculate that the ruling political ideology of his country could well have had its origins in Vedic India rather than Modern Europe. Stalin funded Smirzkoff’s research until Smirrzkoff was suddenly found to have stolen over 500,000 paper clips from work over the course of his tenure at Odessa University. He was sent to Siberia, and with him went almost all academic proof that would have certainly brought Russia and India closer together.

This recent discovery should resurrect the pioneering work started by Prof. Varely Smirzkoff, who died of Contracted Poloniumitis of the nose, in 1964.

Reality of Hindu Kings

विदेशी आर्य-ब्रह्मणवादियोने न सिर्फ भारत के आक्रमणकारी रहे है बल्कि उन्होंने अपने स्वार्थ के लिए हर किसी को भारत पर आक्रमण करने का निमंत्रण दिया है.

■ब्रह्मणवादियोने अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए हुन, ग्रीक, पोर्तुगीज, मुस्लिम, अंग्रेज, और फ्रेंच इ. को भारत पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया है. (pg.14, Who is Ruling India, 1982).
■ ब्राह्मणवादी राजा हेमू ने और राणासांगा क्षत्रिय ने अपनी मंत्री लालचंद ब्रह्मण के कहने पर बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए निमंत्रण दिया. सम्राट बाबर का सलाहगार भी हिमुशी नामक हिन्दू था.
■मुहम्मद गौरी को भारत पर हमला करने के लिए जयचंद ने बुलाया था.
■नन्दवंश के सम्राट महा परमनन्द का सर्वनाश करने के लिए चाणक्य ब्राह्मन ने सिकन्दर को भारत पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया था.
■वल्लभी नामक गुजरात के एक धनपति सेठ ने मोहम्मद बिन कासिम के संपर्क करके उसे गुजरात के शहरों पर आक्रमण करने का निमंत्रण दिया था.
■जमोरिन ब्रह्मण ने पुर्तगालियों को, अभिचंद वैश्य ने अंग्रेजों को, राजा दहीर (ब्रह्मण) ने मुहम्मद बिन कासिम को भारत पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किये था.
■ब्रह्मणवादियोने हिटलर को अवतार तक कहा और उसे भारत पर हमला करने की दावत दी. [PG.18,80 Dialogue Of The Bhoodevtas]
इसलिए इनसे कोई उम्मीद रखना यानि खुद को धोखा देना है.

who Is Hindu

हिन्दू अरबी का शब्द है । हिन्दू शब्द न तो वेद में है न पुराण में न उपनिषद में न आरण्यक में न रामायण में न ही महाभारत में । स्वयं दयानन्द सरस्वती कबूल करते हैं कि यह मुगलों द्वारा दी गई गाली है । 1875 में ब्राह्मण दयानन्द सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की हिन्दू समाज की नहीं । अनपढ़ ब्राह्मण भी यह बात जानता है । ब्राह्मणो ने स्वयं को हिन्दू कभी नहीं कहा । आज भी वे स्वयं को ब्राह्मण कहते हैं लेकिन सभी शूद्रों को हिन्दू कहते हैं । जब शिवाजी हिन्दू थे और मुगलों के विरोध में लड़ रहे थे तथा तथाकथित हिन्दू धर्म के रक्षक थे तब भी पूना के ब्राह्मणो ने उन्हें शूद्र कह राजतिलक से इंकार कर दिया । घूस का लालच देकर ब्राह्मण गागाभट्ट को बनारस से बुलाया गया । गगाभट्ट ने "गागाभट्टी" लिखा उसमें उन्हें विदेशी राजपूतों का वंशज बताया तो गया लेकिन राजतिलक के दौरान मंत्र "पुराणों" के ही पढे गए वेदों के नहीं ।तो शिवाजी को हिन्दू तब नहीं माना । ब्राह्मणो ने मुगलों से कहा हम हिन्दू नहीं हैं बल्कि तुम्हारी तरह ही विदेशी हैं परिणामतः सारे हिंदुओं पर जज़िया लगाया गया लेकिन ब्राह्मणो को मुक्त रखा गया । 1920 में ब्रिटेन में वयस्क मताधिकार की चर्चा शुरू हुई । ब्रिटेन में भी दलील दी गई कि वयस्क मताधिकार सिर्फ जमींदारों व करदाताओं को दिया जाए । लेकिन लोकतन्त्र की जीत हुई । वयस्क मताधिकार सभी को दिया गया । देर सबेर ब्रिटिश भारत में भी यही होना था । तिलक ने इसका विरोध किया । कहा " तेली,तंबोली ,माली ,कूणबटो को संसद में जाकर क्या हल चलाना है" । ब्राह्मणो ने सोचा यदि भारत में वयस्क मताधिकार यदि लागू हुआ तो अल्पसंख्यक ब्राह्मण मक्खी की तरह फेंक दिये जाएंगे । अल्पसंख्यक ब्राह्मण कभी भी बहुसंख्यक नहीं बन सकेंगे । सत्ता बहुसंख्यकों के हाथों में चली जाएगी । तब सभी ब्राह्मणों ने मिलकर 1922 में "हिन्दू महासभा" का गठन किया । जो ब्राह्मण स्वयं हो हिन्दू मानने कहने को तैयार नहीं थे वयस्क मताधिकार से विवश हुये । परिणाम सामने है । भारत के प्रत्येक सत्ता के केंद्र पर ब्राह्मणो का कब्जा है । सरकार में ब्राह्मण ,विपक्ष में ब्राह्मण ,कम्युनिस्ट में ब्राह्मण ,ममता ब्राह्मण ,जयललिता ब्राह्मण 367 एमपी ब्राह्मणो के कब्जों में है । सर्वोच्च न्यायलयों में ब्राह्मणो का कब्जा ,ब्यूरोक्रेसी में ब्राह्मणो का कब्जा ,मीडिया ,पुलिस ,मिलिटरी ,शिक्षा ,आर्थिक सभी जगह ब्राह्मणो का कब्जा है । एक विदेशी गया तो दूसरा विदेशी सत्ता में आ गया । हम अंग्रेजों के पहले ब्राह्मणो के गुलाम थे अंग्रेजों के जाने के बाद भी ब्राह्मणो के गुलाम हैं । यही वह हिन्दू शब्द है जो न तो वेद में है न पुराण में न उपनिषद में न आरण्यक में न रामायण में न ही महाभारत में । फिर भी ब्राह्मण हमें हिन्दू कहते हैं ।

fake claim of science in Hinduism

*हिन्दू ग्रंथो का विज्ञान
(SCIENCE)***********
साथियो अक्सर कहाँ जाता ...है की हिन्दू धर्म ग्रंथो मे
आधुनिक विज्ञान से भी कही बड्कर विज्ञान कूट-कूट
करा भरा है उसी विज्ञान की बातें लोगों के सामने
लाना मेरा उद्देश्य है तो साथियो आए देखे भूदेवताओ
द्वारा रचित ग्रंथो का विज्ञान **********
*****वराह (सुवर )भगवान विष्णु के 10 अवतारो मे
से तीसरा अवतार माना जाता है .स्वयाभू भूदेवताओ
द्वारा रचित ग्रंथो के अनुसार जब हिरण्याक्ष नामक
राक्षस पृथ्वी को बलपूर्वक घसीटकर समुद्र के नीचे ले
गया ,तब विष्णु ने पृथ्वी की रक्षा हेतु वराह अवतार
धारण किया। वराह और हिरण्याक्ष के बीच 1000
वर्ष तक यूध्द चला ,फिर वराह ने राक्षस को मार
डाला और पृथ्वी को अपने बाहर निकले दाँतो पर उठाकर
जल से बाहर ले आए ।
*******साथियो ये है भूदेवताओ के रचित
ग्रंथो का विज्ञान *****जरा सोचिए ****
1*-सभी जानते है ही पृथ्वी जमीन के भाग और पानी के
भाग दोनों से मिलकर बनी है
भूमि 25%तथा पानी 75% मिलकर पृथ्वी का निर्माण
हुआ है तो फिर राक्षस पृथ्वी को समुद्र मे कैसे
घसीटकर ले जा सकता है..??/
2*-भगवान विष्णु ने पृथ्वी को बचाने वराह (सुवर )
का अवतार लिया । क्या उसे दूसरा अवतार
नही मिला लेने को केवल वही था बचा ........???
3*-1000 वर्ष तक यूध्द होता रहा तो इन योध्दओ
की उम्र का अंदाजा आप खुद ही लगाये , 4*- वराह ने
पृथ्वी को अपने बाहर निकले दाँतो पर उठाया ....???
क्या ये संभव है ??
******साथियो ये है स्वमभू भूदेवताओ की ज्ञान
विज्ञान की बातें .....??जिसका बखान कराते ये
कभी भी नही थकते, और हिन्दू भाइयो को इसी ज्ञान
की बातों का प्रवचन देकर अंधविश्वासी और बेवकूफ
बनाते है ****

Reality of Hindus

Brahma is the creator of the universe, Saraswati, who became the wife of her own father, was the daughter of Brahma. There are two stories about her genesis in the
“Saraswati Purana”. One is that Brahma created his beautiful daughter Saraswati direct from his “vital strength” or seminal fluid. The other is that Brahma used to collect his semen in a pot whenever he masturbated fixing his carnal eyes on the celestial beauty Urvasi. Brahma’s semen in the pot gave birth to Saraswati. Thus,Saraswati had no mother.
This daughter or grand-daughter of Brahma is the Hindu goddess of learning. When Brahma saw the beauty of Saraswati he became amorous. To escape from her father’s passionate approach Saraswati ran to the lands in all four directions, but she could not escape from her father. She succumbed to Brahma’s wish. Brahma and his daughter Saraswati lived as husband and wife indulging in incest for 100 years. They had a son Swayambhumaru. Swayambhumaru made love with his sister Satarpa. Through the incest of Brahma’s son and daughter Brahma got two grandsons and two grand-daughters.

More of Lord Brahma’s (Prajapati’s) incest:

“Prajapati desired his daughter and made love to her. This was a sin in the eyes of the gods, who said to the god who rules over beasts [Pasupati, Rudra], ‘He commits a sin, acting in this way towards his own daughter, our sister. Pierce him.’ Rudra took aim and pierced him. Half his seed fell to the ground. The gods cured Prajapati and cut out Rudra’s dart, for Prajapati is the sacrifice. To utilize [the seed], the gods said, ‘Take care that this may not be lost, but that it may be less than the oblation.’ They gave it to Bhaga to eat, but it burnt his eyes and he became blind. Then they gave it to Pusan to eat, but it knocked out his teeth. At last they gave it to Savitr [the sun] and it did not injure him, for he appeased it.” — Satapatha Brahmana 1:7:4:1-7.

More of Lord Brahma’s (Prajapati’s) incest:

“Prajapati desired his daughter and made love to her. This was a sin in the eyes of the gods, who said to the god who rules over beasts [Pasupati, Rudra], ‘He commits a sin, acting in this way towards his own daughter, our sister. Pierce him.’ Rudra took aim and pierced him. Half his seed fell to the ground. The gods cured Prajapati and cut out Rudra’s dart, for Prajapati is the sacrifice. To utilize [the seed], the gods said, ‘Take care that this may not be lost, but that it may be less than the oblation.’ They gave it to Bhaga to eat, but it burnt his eyes and he became blind. Then they gave it to Pusan to eat, but it knocked out his teeth. At last they gave it to Savitr [the sun] and it did not injure him, for he appeased it.” — Satapatha Brahmana 1:7:4:1-7.